
10/07/2025
मोदी विरोधियों से एक सीधा सवाल…
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“27 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार क्या अंधभक्ति का प्रमाण हैं?”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर चाहे देश में जितनी भी राजनीति हो, लेकिन दुनिया ने उन्हें सम्मान दिया है — और वो भी खाली तारीफों से नहीं, 27 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से।
अब सवाल ये उठता है: क्या अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान, UAE, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया जैसे देश भी ‘भक्त’ हो गए हैं?
क्या इन देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी WhatsApp यूनिवर्सिटी से पढ़कर आए हैं?
या फिर सच्चाई ये है कि जिस नेता को आप दिन-रात ट्रोल करते हैं, दुनिया उसके नेतृत्व और विज़न को सलाम करती है?
क्या हैं ये पुरस्कार?
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Legion of Honour (फ्रांस का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान)
Order of Zayed (UAE का सर्वोच्च सम्मान)
Order of St. Andrew (रूस का सर्वोच्च सम्मान)
Global Goalkeeper Award (Bill & Melinda Gates Foundation)
King Hamad Order of the Renaissance (बहरीन)
Highest Civilian Award of Saudi Arabia
और 20 से अधिक सम्मान…
इतने सारे सम्मान क्या PR एजेंसी से खरीदे गए हैं?
या फिर वाकई एक राष्ट्र नेता के तौर पर मोदी की साख अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत हुई है?
लेकिन विरोधियों को इससे क्या?
विरोधियों को सिर्फ ये देखना है कि मोदी ने क्या पहन लिया, कहाँ झुके, क्या कहा, किससे मिले…
देश की छवि, विदेश नीति की कामयाबी, या भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा — इनसे उन्हें कोई लेना-देना नहीं।
क्योंकि आलोचना अब तर्क से नहीं, केवल नफ़रत से हो रही है।
और जब आलोचना का आधार सिर्फ नफ़रत हो, तो सम्मान भी आंखों में चुभता है।
सच्चाई कड़वी होती है
मोदी को मिले ये सम्मान सिर्फ एक व्यक्ति के नहीं हैं — ये भारत की बदलती छवि, सशक्त नेतृत्व और वैश्विक भूमिका का प्रतीक हैं।
हो सकता है आपको मोदी पसंद न हों।
पर क्या आप इतनी भी ईमानदारी नहीं रख सकते कि दुनिया की राय का सम्मान कर सकें?
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क्योंकि सच्चाई सुनना कुछ लोगों को पसंद नहीं, लेकिन जरूरी है।