24/11/2025
--:::: विद्यालय की प्रार्थना ::::--
बहुत याद आती है ,
विद्यालय की वो प्रार्थना ,
न दुख का भाव ,
न सुख की याचना ।
पंक्ति में खड़े होकर ,
आंखें बन्द और हाथ जोड़ कर,
एक ही सुर , एक ही लय,
भीड़ में भी एकाकी होकर ।
न दीप, न पुष्प, न प्रसाद ,
न रंग , न रूप, न कोई आकार,
न कोई दर्शन की अभिलाषा,
न ही मन में कोई विचार ।
नमन करते है उस ईश्वर को,
जिसने हम सबको बनाया ,
सुन्दर पुष्प , मिठे फल ,
जिसने सारा जगत बनाया ।
आओ मिलकर करें प्रार्थना ,
भूल न होए कोई हमसे ,
मिलजुल रहे धरती पर ,
बंदे है हम उसके ।
शिष्टता ही है हमारी कुंजी ,
करें हम अच्छा व्यवहार ,
अनेकता मे एकता ,
दर्शाता है सारा संसार ।
जीवन का अमूल्य धन है,
बल , बुद्धि और विद्या ,
चुरा न सका जिसे कोई ,
न वस्तु , न कोई संज्ञा ।
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