
29/07/2025
--- ::: मित्रता ::: ---
बंधु , सखा , सहेली और सहपाठी
का सामंजस्य बैठाती है ' मित्रता ' ।
विद्यालय की खट्टी मिठी यादों को
नोट बुक में छिपा लेती है ' मित्रता ' ।
अल्हड़पन , लड़कपन कभी जाता नही
बड़प्पन को बचपन बनाती है ' मित्रता ' ।
भागता हुआ समय भी थम जाता है
जब बे वजह मुस्कराती है ' मित्रता ' ।
हर दुख को सुख मे बदलने की
योजनाए बना लेती है ' मित्रता ' ।
न उपेक्षा , न किसी से ज्यादा अपेक्षा
बस थोड़ा संग चाहती है ' मित्रता ' ।
जाने अनजाने रिश्ते घाव दे जाते
उस पर मरहम लगाती है ' मित्रता ' ।
जीवन साथी भी है एक अनोखा मित्र
जिसे समानता पर लाती है ' मित्रता ' ।
ईश्वर से भी कर लीजिए ' मित्रता ' ,
सुदामा को कृष्ण से मिलाती है ' मित्रता ' ।
विचार व्यवहार मे आती है पवित्रता ,
जब स्वयं से हो जाती है ' मित्रता ' ।
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