
27/09/2025
बिटिया बड़े उत्साह से लहरों की ओर दौड़ना चाहती थी। उसकी चोटी हवा में झूल रही थी और चेहरे पर मुस्कान थी। वह बोली –
“पापा, देखिए समुद्र हमें बुला रहा है!”
राकेश हँसते हुए बोले –
“हाँ, लेकिन धीरे-धीरे जाना, लहरें मज़ाक-मज़ाक में बहुत शरारती होती हैं।”
उधर ऋतिक किनारे पर खड़ा होकर लहरों को ध्यान से देख रहा था। उसकी आँखों में जिज्ञासा तो थी, लेकिन साथ ही एक डर भी। हर बार जब कोई बड़ी लहर आती, तो वह पापा का हाथ कसकर पकड़ लेता।
“पापा, यह पानी मुझे अंदर खींच तो नहीं ले जाएगा?” उसने काँपती आवाज़ में पूछा।
राकेश ने झुककर बेटे के कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोले –
“नहीं बेटा, जब तक पापा तुम्हारे साथ हैं, तुम्हें कोई छू भी नहीं सकता। समुद्र बड़ा है, लेकिन उससे दोस्ती करने पर यह हमें बहुत कुछ सिखाता है।”
बिटिया भी हँसते हुए बोली –
“ऋतिक, देखो मैं तो पानी के पास चली गई, मुझे तो कुछ नहीं हुआ। डरने की ज़रूरत नहीं है।”
ऋतिक ने धीरे-धीरे हिम्मत जुटाई और बहन का हाथ पकड़े-पकड़े समुद्र की ओर कदम बढ़ाए। जैसे ही लहर उसके पैरों को छूकर गई, उसने आश्चर्य से मुस्कुराया। ठंडे पानी का स्पर्श उसे अच्छा लगा।
पापा ने दोनों बच्चों को बाहों में भर लिया और बोले –
“ज़िंदगी भी समुद्र जैसी होती है। पहले डर लगता है, लेकिन जब हम साहस से उसका सामना करते हैं तो वही हमें सबसे सुंदर अनुभव देती है।”
ऋतिक ने पापा और बहन की ओर देखा और अब उसके चेहरे पर डर की जगह आत्मविश्वास था। समुद्र की लहरें अब उसे डरावनी नहीं, बल्कि अपनेपन से भरी लग रही थीं।
उस दिन समुद्र किनारे पापा, बेटा और बेटी ने न सिर्फ खेला, बल्कि साहस और प्यार की एक खूबसूरत सीख भी पाई। 🌊✨🏖️💖