24/03/2025                                                                            
                                    
                                                                            
                                            बलूचिस्तान की शेरनी के नाम से विख्यात और मशहूर गांधीवादी महरंग बलोच को पाकिस्तानी फौज ने घसीटते हुए गिरफ्तार कर लिया है। अभी वह कहां है,जिंदा है या नहीं,कुछ पता नहीं है।
पेशे से डॉक्टर, 32 वर्षीय महरंग बलोच एक प्रमुख बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मानवाधिकार उल्लंघनों,जबरन गायब किए गए लोगों, गैरकानूनी हत्याओं और दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाती हैं। 
महरंग के पिता, अब्दुल गफ्फार लैंगोव भी एक मानवाधिकार कार्यकर्ता थे, जिन्हें 2009 में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने अपहरण कर लिया था। बाद में में उनके पिता का क्षत-विक्षत शव मिला था। उसके बाद से ही महरंग एक आंदोलनकारी बन गई। उस समय वह मात्र 16 साल की थी।
महरंग बलोच ने हिंसा का रास्ता कभी नहीं अपनाया। उनकी लड़ाई गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें शांतिपूर्ण विरोध और जन जागरूकता शामिल है। दिसंबर 2023 में उन्होंने तुर्बत से इस्लामाबाद तक 1600 किलोमीटर का लॉन्ग मार्च आयोजित किया, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए। उनकी मुखरता और साहस ने उन्हें बलूचिस्तान की एक प्रेरणादायक शख्सियत बना दिया। उनकी रैलियों में महिलाओं और युवाओं की भारी भागीदारी देखी जाती है। 
2025 में महरंग को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, जिसे उन्होंने बलूचिस्तान के लापता लोगों और उनके परिवारों के संघर्ष को समर्पित किया। वह कहती हैं कि यह सम्मान उनके लिए नहीं, बल्कि उन हजारों बलूचों के लिए है जो न्याय की राह देख रहे हैं। हालांकि, उनकी सक्रियता से परेशान पाकिस्तान सरकार ने उन्हें आतंकी सूची में डालने जैसे कदम उठाए हैं। फिर भी, वह डटकर अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं। महरंग बलोच न केवल बलूचिस्तान की आवाज हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर मानवाधिकारों के लिए एक प्रतीक बन चुकी हैं। उनकी कहानी साहस, दृढ़ता और अहिंसा की मिसाल है।
ध्यान रहे क्षेत्रफल के हिसाब से बलूचिस्तान पाकिस्तान का लगभग आधा हिस्सा है(44%), किंतु जनसंख्या मात्र 7% है। जबकि प्राकृतिक संसाधनों का अधिकांश हिस्सा बलूचिस्तान में ही है। उदाहरण गैस 20-25%, तांबा 70-80%, खजूर 70%, पशुधन 40%,समुद्री संसाधन 70% है।
इसके बावजूद विकास के हर पहलू में—शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, गरीबी और आर्थिक अवसरों में—बलूचिस्तान पाकिस्तान के अन्य प्रांतों, खासकर पंजाब और सिंध, से काफी पीछे है। इसीलिए बलोच लोग पाकिस्तान से अलगाववाद की लड़ाई लड़ रहा है।
सबसे महत्वपूर्ण बात, महरंग सहित कई बलोच नेता और कार्यकर्ताओं,ने भारत से उनके संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय मंचों, खासकर संयुक्त राष्ट्र में उठाने की अपील की है। वे मानते हैं कि भारत उनकी आवाज को वैश्विक स्तर पर मजबूत कर सकता है, खासकर पाकिस्तान में उनके खिलाफ होने वाले कथित अत्याचारों—जबरन गायब करना, हत्या और शोषण—के मुद्दे पर। 
इसीलिए पाकिस्तान भारत पर बलूच लोगों को भड़काने का आरोप लगाते रहता है और बलोच नेताओं को भी भारत समर्थक मानता है ।