22/11/2025
हिंदू लड़कियाँ सतर्क रहें - नई "दरगाही चाल" शुरू हो चुकी है! यह केवल लड़कियाँ नहीं, बल्कि 40-50 साल की महिलाएँ तक भी आजकल इस झांसे में फँस रही हैं।
मन्नत माँगने के नाम पर दरगाहों में जाने वाली महिलाएँ काले धागे की बेड़ी बंधवा रही हैं - लेकिन इसका असली मतलब और असर कोई नहीं समझ रहा। बेड़ी बाँधने और काटने की रहस्यमयी रस्म क्या है..??
दरगाहों में एक "मान्यता" फैलाई जा रही है कि मन्नत माँगने वाली लड़की या महिला को पैर में काले धागे की बेड़ी बाँधनी होती है।
- जब मन्नत पूरी हो जाए, तब जाकर उस बेड़ी को ख़ादिम (दरगाह के मुल्ला) से कटवाना पड़ता है।
- लड़की तभी "मुक्त" मानी जाती है जब वो बेड़ी कटवा दे।
यह रस्म दरअसल एक मानसिक और सांस्कृतिक बंधन है, जो एक बार बंध जाने के बाद हिंदू लड़की को अंदर से "मज़ार संस्कृति" से जोड़ देता है। इस टोटके की शुरुआत "कलियर शरीफ़" से हुई थी| अब ये हर छोटी-बड़ी दरगाह में फैल चुका है - "बेड़ी बाँधो और कटवाओ" वाला धंधा।
- भोली-भाली हिंदू लड़कियाँ इस जाल में आकर दरगाहों पर बेड़ी बाँध रही हैं
- उन्हें लगता है कि ये कोई सामान्य धार्मिक आस्था है
- जबकि ये कट्टरपंथी जाल का हिस्सा है।
यह केवल मानसिक जकड़न नहीं - ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी घातक है! पैर में जहाँ पायल या बिछुए पहनते हैं, वह स्थान मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल ग्रह को काली वस्तुएँ (जैसे काला धागा) पसंद नहीं होतीं।
पैर में काला धागा पहनना अशुभ माना गया है - इससे दांपत्य जीवन, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
कई लड़कियों और महिलाओं के पैरों में यह काला धागा देखा है... उस समय शायद इसका रहस्य नहीं पता था, लेकिन अब समझ में आ रहा है कि यह कोई मासूम परंपरा नहीं, बल्कि हिंदू महिलाओं को इस्लामी सूफ़ी दरगाही सिस्टम में धीरे-धीरे खींचने की योजना है।
हिंदू लड़कियों और माताओं-बहनों से निवेदन है: अपनी आस्था को विवेक से संचालित करें, अंधविश्वास से नहीं।
- मन्नत माँगनी है तो अपने इष्ट से माँगिए
- मंदिर जाइए, गाय को रोटी दीजिए, गरीब की मदद कीजिए,
- लेकिन दरगाहों की बेड़ियाँ मत बाँधिए!
जो रस्म आपको मन से गुलाम बनाती है, वो आस्था नहीं, मानसिक बंधन है। जागरूक रहे, अपने परिवार की सुरक्षा करे।
#नपुंसकता_जिहाद