30/06/2025
🔴 सनसनीखेज पर्दाफाश!
अमेरिका का 'डिफैक्टो प्रेसिडेंट'?
नीरा टंडन, ऑटोपेन और व्हाइट हाउस की परदे के पीछे की सत्ता!
जब भारतवंशी नाम केवल डॉक्टर, इंजीनियर या आईटी एक्सपर्ट तक सीमित नहीं रहता, तब जन्म लेती है ऐसी एक कहानी—जो सीधे व्हाइट हाउस की सत्ता की नसों को छूती है।
मिलिए नीरा टंडन से—Centre for American Progress (CAP) की पूर्व प्रमुख, नीति निर्माता, और अब अमेरिका की सबसे विवादित राजनीतिक हस्तियों में से एक।
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हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस के सामने बंद कमरे में हुई गवाही में नीरा टंडन ने यह स्वीकार किया कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए Autopen के ज़रिए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करती थीं।
जी हाँ—वही दस्तावेज़ जिन पर कानून बनते थे, कार्यकारी आदेश निकलते थे, और अरबों डॉलर के फंड का रास्ता तय होता था।
> ❝मैं सिर्फ ‘डिसीजन मेमो’ भेजती थी। मंजूरी ऊपर से आती थी और मैं ऑटोपेन से साइन करवा देती थी... राष्ट्रपति से मेरी सीधी बातचीत बहुत कम होती थी।❞
— नीरा टंडन, कांग्रेस के समक्ष गवाही में
🤖 क्या है Autopen?
Autopen एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो किसी व्यक्ति के असली हस्ताक्षर को हूबहू नकल कर दस्तावेज़ों पर साइन करता है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, या वरिष्ठ अधिकारी इसका इस्तेमाल समय बचाने और तेजी से फाइल निपटाने के लिए करते हैं—बशर्ते इजाज़त हो।
लेकिन सवाल यह है—क्या बाइडेन की ओर से यह इजाज़त सच में दी गई थी?
या फिर किसी गुप्त सत्ता केंद्र से पूरा खेल चल रहा था?
🕵️♀️ Deep State का अंधकार
नीरा टंडन सिर्फ नीति की रचयिता नहीं थीं—वह नीति जिनसे उनके सहयोगियों को अरबों डॉलर का फायदा मिला, और जिनपर खुद वही साइन करवा रही थीं।
नीति निर्माण → मंजूरी → क्रियान्वयन — सब एक ही थिंक टैंक नेटवर्क के भीतर नियंता
घटनाक्रम भारत को याद दिलाता है—UPA शासन के दौरान की नेशनल एडवाइजरी काउंसिल (NAC) का, जिसकी प्रमुख थीं श्रीमती सोनिया गांधी।
तब प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे—पर फैसले कौन ले रहा था, इस पर हमेशा संदेह बना रहा।
नीरा टंडन की तरह ही, भारत में भी कई ऐसे दस्तावेज़ स्वीकृत हुए थे, जिनके पीछे प्रधानमंत्री की सीधी सहमति संदेह के घेरे में रही—जैसे:
नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या जैसे भगोड़ों को दिए गए हजारों करोड़ के लोन
पूर्व RBI गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव ने भी अपनी किताबों में इस राजनीतिक हस्तक्षेप का ज़िक्र किया है
क्या यही कारण था कि पी. वी. नरसिम्हा राव को कांग्रेस ने अंतिम विदाई तक से वंचित किया—क्योंकि उन्होंने ‘राजमाता’ के आदेश पर चलने से इनकार किया था?
क्या उन्होंने ऑटोपेन की राजनीति को अस्वीकार कर दिया था?
✍️ Manoj Kumar ji