Hamro Pyaro Vrindavan Dham

Hamro Pyaro Vrindavan Dham वृंदावन मथुरा बरसाना गोकुल ब्रजमंडल धाम के मंदिरों के दर्शन एवं उत्सव सूचना व्रत उपवास की जानकारी के

02/07/2025

एकादशी व्रत सूचना

श्री निंबार्क भगवान द्वारा प्रतिपादित कपालवेध मतानुसार  "देवशयनी एकादशी व्रत : रविवार , 6 जुलाई 2025"  का है । आप सभी वै...
02/07/2025

श्री निंबार्क भगवान द्वारा प्रतिपादित कपालवेध मतानुसार "देवशयनी एकादशी व्रत : रविवार , 6 जुलाई 2025" का है । आप सभी वैष्णव व्रत जरूर रखें ।

जय श्री राधे.......🙌

अशुद्ध वायुमंडल हो रहा है, पर्यावरण की चर्चा समाचार पत्रों में आ रही है। इससे बचने के लिए वृन्दावन में रहना चाहिए। अर्था...
02/07/2025

अशुद्ध वायुमंडल हो रहा है, पर्यावरण की चर्चा समाचार पत्रों में आ रही है। इससे बचने के लिए वृन्दावन में रहना चाहिए। अर्थात् घर में द्वार पर अधिक से अधिक श्रीतुलसी के वृक्ष लगाकर उनका पूजन-दर्शन करना चाहिए। नीम आंवला आदि के वृक्षों से वायु शुद्ध होती हैं। तुलसी सब प्रकार के विषों को दूर करने वाली है, उसका कार्तिक में विशेष रूप से पूजन दीपदानादि करना चाहिए।

पूज्य गुरुदेव श्री राजेंद्र दास जी महाराज
सूर श्याम गौशाला
परासोली, गोवर्धन,

माँ दुर्गा के अष्टोतरशतनाम का पाठ या श्रवण करने से भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती है। जो साधक माँ दुर्गा के इन १०८ नामो को...
28/06/2025

माँ दुर्गा के अष्टोतरशतनाम का पाठ
या श्रवण करने से भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती है। जो साधक माँ दुर्गा के इन १०८ नामो को भजता है, उसके लिए तीनो लोको मे कुछ भी असाध्य नही है। वह धन, धान्य, पुत्र, स्त्री, धर्म आदि चार पुरुषार्थ तथा अन्त मे सनातन मुक्ति को भी प्राप्त कर लेता है।

माँ दुर्गा के १०८ नाम इस प्रकार है :-

1. सती (पति के लिए, अग्नि में खुद को समर्पित करने वाली)

2.साध्वी (आशावादी)

3. भवप्रीता (भगवान् शिव पर प्रीति रखने वाली)

4. भवानी (ब्रह्मांड की निवासिनी)

5. भवमोचनी‌ (संसार बंधनों से मुक्त करने वाली)

6. आर्या (देवी)

7. दुर्गा (अपराजेय)

8. जया (विजयी)

9. आद्या (शुरूआत की वास्तविकता)

10. त्रिनेत्रा (तीन आँखों वाली)

11. शूलधारिणी (शूल धारण करने वाली)

12. पिनाकधारिणी (शिव का त्रिशूल धारण करने वाली)

13. चित्रा (सुरम्य, सुंदर)

14. चण्डघण्टा (प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली)

15. महातपा (भारी तपस्या करने वाली)

16. मन: (मनन- शक्ति)

17. बुद्धि (बोधशक्ति)

18. अहंकारा (अहंता का आश्रय)

19. चित्तरूपा (वह जो सोच की अवस्था में है)

20. चिता‌ (मृत्युशय्या)

21. चिति: (चेतना)

22. सर्वमन्त्रमयी (सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली)

23. सत्ता (सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है)

24. सत्यानन्दस्वरूपिणी (अनन्त आनंद का रूप)

25. अनन्ता (जिनके स्वरूप का कहीं अन्त नहीं)

26. भाविनी (सबको उत्पन्न करने वाली)

27. भाव्या (भावना एवं ध्यान करने योग्य)

28. भव्या (कल्याणरूपा)

29. अभव्या (जिससे बढ़कर कुछ भव्य नहीं)

30. सदागति (हमेशा गति में, मोक्ष स्वरुपा)

31. शाम्भवी (शिवप्रिया, शंभू की पत्नी)

32. देवमाता (देवगण की माता)

33. चिन्ता (चिन्ता)

34. रत्नप्रिया (गहने से प्यार करने वाली)

35. सर्वविद्या (ज्ञान का सार)

36. दक्षकन्या (दक्ष की बेटी)

37. दक्षयज्ञविनाशिनी (दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाली)

38. अपर्णा (तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली)

39. अनेकवर्णा (अनेक रंगों वाली)

40. पाटला (लाल रंग वाली)

41. पाटलावती (गुलाब के फूल, लाल फूल या लाल परिधान धारण करने वाली)

42. पट्टाम्बरपरीधाना (रेशमी वस्त्र पहनने वाली)

43. कलामंजीरारंजिनी (पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली)

44. अमेयविक्रमा (असीम पराक्रमवाली)

45. क्रूरा (दैत्यों के प्रति कठोर)

46. सुन्दरी (सुंदर रूप वाली)

47. सुरसुन्दरी (अत्यंत सुंदर)

48. वनदुर्गा (जंगलों की देवी)

49. मातंगी (मतंगा की देवी)

50. मतंगमुनिपूजिता (बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय)

51. ब्राह्मी (भगवान ब्रह्मा की शक्ति)

52. माहेश्वरी (प्रभु शिव की शक्ति)

53. ऐन्द्री (इन्द्र की शक्ति)

54. कौमारी (किशोरी)

55. वैष्णवी (अजेय)

56. चामुण्डा (चंड और मुंड का नाश करने वाली)

57. वाराही (वराह पर सवार होने वाली)

58. लक्ष्मी (सौभाग्य की देवी)

59. पुरुषाकृति (वह जो पुरुष धारण कर ले)

60. विमला (निर्मल भाव वाली)

61. उत्कर्षिणी (श्रेष्ठतम)

62. ज्ञाना (ज्ञान से भरी हुई)

63. क्रिया (हर कार्य में होने वाली)

64. नित्या (अनन्त)

65. बुद्धिदा (ज्ञान देने वाली)

66. बहुला (विभिन्न रूपों वाली)

67. बहुलप्रेमा (सर्व प्रिय)

68. सर्ववाहनवाहना (सभी वाहन पर विराजमान होने वाली)

69. निशुम्भशुम्भहननी (शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली)

70. महिषासुरमर्दिनि (महिषासुर का वध करने वाली)

71. मधुकैटभहंत्री (मधु व कैटभ का नाश करने वाली)

72. चण्डमुण्ड विनाशिनि (चंड और मुंड का नाश करने वाली)

73. सर्वासुरविनाशा (सभी राक्षसों का नाश करने वाली)

74. सर्वदानवघातिनी (संहार के लिए शक्ति रखने वाली)

75. सर्वशास्त्रमयी (सभी सिद्धांतों में निपुण)

76. सत्या (सत्यस्वरुपा)

77. सर्वास्त्रधारिणी (सभी हथियारों धारण करने वाली)

78. अनेकशस्त्रहस्ता (हाथों में कई हथियार धारण करने वाली)

79. अनेकास्त्रधारिणी (अनेक हथियारों को धारण करने वाली)

80. कुमारी (सुंदर किशोरी)

81. एककन्या (कन्या)

82. कैशोरी (जवान लड़की)

83. युवती (नारी)

84. यति (तपस्वी)

85. अप्रौढा (जो कभी पुराना ना हो)

86. प्रौढा (जो पुराना है)

87. वृद्धमाता (शिथिल)

88. बलप्रदा (शक्ति देने वाली)

89. महोदरी (ब्रह्मांड को संभालने वाली)

90. मुक्तकेशी (खुले बालो वाली)

91. घोररूपा (एक भयंकर दृष्टिकोण वाली)

92. महाबला (अपार शक्ति वाली)

93. अग्निज्वाला (मार्मिक आग की तरह)

94. रौद्रमुखी (विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा)

95. कालरात्रि (काले रंग वाली)

96. तपस्विनी (तपस्या में लगे हुए)

97. नारायणी (भगवान नारायण की विनाशकारी शक्ति)

98. भद्रकाली (काली का भयंकर रूप)

99. विष्णुमाया (भगवान विष्णु की माया)

100. जलोदरी (ब्रह्मांड में निवास करने वाली)

101. शिवदूती (भगवान शिव की राजदूत)

102. कराली (हिंसक)

103. अनन्ता (विनाश रहित)

104. परमेश्वरी (प्रथम देवी)

105. कात्यायनी (ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय)

106. सावित्री (सूर्य की बेटी)

107. प्रत्यक्षा (वास्तविक)

108. ब्रह्मवादिनी (वर्तमान में हर जगह वास करने वाली)


यज्ञाचार्य ज्योतिषाचार्य
पंडित अजय मिश्रा
वाराणसी उतर प्रदेश
+91 93362 78416

मानव जीवन की समस्या दुःख है। उससे चिता, भय, वस्तुओं का अभाव, निराशा, पीड़ा, क्रोध, मन की उलझन आदि सब दुःख के रूप हैं। मा...
26/06/2025

मानव जीवन की समस्या दुःख है। उससे चिता, भय, वस्तुओं का अभाव, निराशा, पीड़ा, क्रोध, मन की उलझन आदि सब दुःख के रूप हैं। मानव जीवन का परमलक्ष्य है, शाति, भक्ति, जीवनमुक्ति। सदा के लिए सभी दुःख मिट जावें। अखण्ड प्रभु स्मृति प्रेम प्राप्त हो। यही मानव जीवन का उत्तम लक्ष्य है।

पूज्य गुरुदेव श्री राजेंद्र दास जी महाराज
सूर श्याम गौशाला
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25/06/2025

Bankey Bihari ji Darshan

24/06/2025

संतन के संग लाग रे तेरी अच्छी बनेगी

राधे कृष्ण राधे कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे
राधे श्याम राधे श्याम श्याम श्याम राधे राधे
Jagadguru Nimbarkacharya
#जगद्गुरु_श्रीनिम्बार्काचार्य_श्री_श्रीजी_महाराज #श्रीहरिदास न #

मन में भक्तमाल के छप्पयों का, भक्त चरित्र का गान होने पर भगवान वहाँ उपस्थित होकर सुनते हैं। यही कारण है कि मानसिक कीर्तन...
23/06/2025

मन में भक्तमाल के छप्पयों का, भक्त चरित्र का गान होने पर भगवान वहाँ उपस्थित होकर सुनते हैं। यही कारण है कि मानसिक कीर्तन, सेवा आदि की महिमा अनन्त हो जाती है। मन से जब कुछ किया जाता है तब मन का संग्रह अधिक रहता है। मन के इतस्ततः जाने पर मानसिक भजन-साधन बनेगा ही नहीं। वाणी शरीर आदि के द्वारा हुए आचरण में दम्भ दिखावा का लेश हो सकता है पर मन से मन में होने वाले साधन में दम्भ आदि का लेश नहीं रहता है। इन्हीं कारणों से मानसी साधन-भजन कठिन तो अवश्य है साथ ही उसका लाभ विशेष है।

संतन के संग लाग रे तेरी अच्छी बनेगी

राधे कृष्ण राधे कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे
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मन में कीर्तन, नाम जप, पाठ आदि करने पर श्रीहनुमान जी आदि श्रवण निष्ठ भक्त कीर्तन, जप, पाठ आदि करने वाले के हदय में उपस्थ...
23/06/2025

मन में कीर्तन, नाम जप, पाठ आदि करने पर श्रीहनुमान जी आदि श्रवण निष्ठ भक्त कीर्तन, जप, पाठ आदि करने वाले के हदय में उपस्थित होकर सुनते हैं यह निश्चित है। ऐसा अनुभव साधक को करके आनन्दित होना चाहिए।

पूज्य गुरुदेव श्री राजेंद्र दास जी महाराज
सूर श्याम गौशाला
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वृंदावन जाकर अक्सर लोग 5 कोस की परिक्रमा लगाते हैं. लेकिन, क्या आपको पता है ये परिक्रमा क्यों लगाई जाती है. इसका महत्व क...
23/06/2025

वृंदावन जाकर अक्सर लोग 5 कोस की परिक्रमा लगाते हैं. लेकिन, क्या आपको पता है ये परिक्रमा क्यों लगाई जाती है. इसका महत्व क्या है और इसे किस दिन करना शुभ माना गया है. अगर नहीं, तो यहां पर परिक्रमा से संबंधित हर एक जानकारी दी गई है.

वृंदावन में हर दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान कृष्ण की लीला स्थल और मंदिरों के दर्शन करने आते हैं. इसके साथ ही कई श्रद्धालु वृंदावन की परिक्रमा भी लगाते हैं, जिसका ब्रज में बेहद महत्व माना जाता है. लेकिन, कई लोगों को इस बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है कि वृंदावन की परिक्रमा कब और कैसे लगानी चाहिए.

वैसे तो हर कोई जब भी मंदिर जाता है, तो दर्शन करने के बाद यहां परिक्रमा जरुर लगाता है. लेकिन वृंदावन में सिर्फ मंदिरों की ही नहीं, बल्कि पूरे वृंदावन क्षेत्र की परिक्रमा लगाने का महत्व है. मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने वृंदावन की पावन धरती पर अपनी लीलाएं की और उनके चरणों का राज आज भी वृंदावन में मौजूद है. इस बारे में जानकारी देते हुए मथुरा के पंडित विकास शर्मा ने बताया कि वृंदावन की परिक्रमा लगाने से आप वृंदावन क्षेत्र में मौजूद हर मंदिर, वृक्ष और ब्रजवासियों को प्रणाम कर उनकी भी परिक्रमा लगाते हैं. क्योंकि कृष्ण की लीला में इन सभी का बेहद महत्व माना जाता है.

सभी तीर्थों की परिक्रमा का प्राप्त होता है फल
पंडित विकास शर्मा ने बताया कि परिक्रमा लगाते समय कई छोटी चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. वैसे तो वृंदावन की परिक्रमा 5 कोस यानी करीब 15 किलोमीटर की मानी जाती है. वृंदावन की परिक्रमा को परिक्रमा परिधि से कही भी शुरू किया जा सकता है. जहां से भी इस परिक्रमा को शुरू किया जाता है. सबसे पहले उसी स्थान को प्रणाम कर ब्रज राज माथे पर लगा कर परिक्रमा शुरू की जाती है. उसी स्थान पर आकर समाप्त भी करनी होती है.

परिक्रमा लगाने से जल्दी प्रसन्न होते हैं भगवान
इसके साथ ही परिक्रमा को बिना जूते-चप्पल और बिना किसी वाहन की सहायता से ही लगाना चाहिए. वैसे तो वृंदावन की परिक्रमा लगाने कोई दिन या समय निर्धारित नहीं है. लेकिन, एकादशी के समय परिक्रमा लगाने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं. क्योंकि, एकादशी को भगवान विष्णु का सबसे प्रिय दिन भी माना जाता है. इसके साथ पूरे परिक्रमा में बाहर का खाना खाने से बचना चाहिए. परिक्रमा के दौरान अधिक भूख लगने पर सिर्फ फलों का सेवन करना चाहिए. हालांकि, परिक्रमा खत्म होने के बाद आप किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण कर सकते हैं

संतन के संग लाग रे तेरी अच्छी बनेगी

राधे कृष्ण राधे कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे
राधे श्याम राधे श्याम श्याम श्याम राधे राधे
Jagadguru Nimbarkacharya
#जगद्गुरु_श्रीनिम्बार्काचार्य_श्री_श्रीजी_महाराज #श्रीहरिदास न #

श्री बांके बिहारी जी के आज दिनाक 23/06/2025 बहुत प्यारे दर्शन आरती दर्शन बोलो राधे राधे 🌺❤️                             ...
23/06/2025

श्री बांके बिहारी जी के आज दिनाक 23/06/2025 बहुत प्यारे दर्शन आरती दर्शन बोलो राधे राधे 🌺❤️

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