20/09/2021
सरकारी अनाज सेफ, मंडी की सड़कों पर बरसाती पानी में बह रहा किसानों का अनाज
यमुनानगर में आज शाम के वक्त हुई बरसात ने जगाधरी अनाज मंडी की व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी धान की फसल लेकर मंडी में पहुंचे किसानों की फसल मंडी में बहती नजर आई बरसात होने की वजह से मंडी की सड़कें तालाब बन चुकी थी और वहां करीब 2000000 रुपए का धान जलमग्न हो गया इसका दोष किसानों ने मार्केट कमेटी बोर्ड और प्रशासन पर जड़ा
हरियाणा के यमुनानगर में आज शाम के वक्त बरसात हुई जो जगाधरी अनाज मंडी में धान की फसल लेकर पहुंचे किसानों को खून के आंसू रुला गई क्योंकि एक तरफ तो अभी तक मंडी में धान की फसल की खरीद शुरू नहीं हुई है वहीं दूसरी तरफ मॉइश्चर की वजह से फसल सुखाने के लिए मंडी में व्यवस्था ना होने के कारण किसानों ने अपनी फसल मंडी की सड़कों पर फैलाई हुई थी शायद उन्हें इंद्र देवता पर भरोसा था लेकिन मार्केट कमेटी बोर्ड और प्रशासन पर उन्हें जरा भी यकीन नहीं था लेकिन यहां तो इंद्र देवता ने ही उनका भरोसा तोड़ दिया और एकदम इतनी तेज बरसात हुई कि सड़कों पर फैली इस धान को इकट्ठा करने का बहुत ही कम समय मिल पाया और मजदूरों ने वहीं पर तीरपाल ढककर बचाने का भी प्रयास किया लेकिन देखते ही देखते कितनी तेज बरसात हुई की मंडी की सड़कें तालाब का रूप धारण करने लगी और सड़कों पर पड़ी हुई धान पानी में बहने लगी यहां किसानों का आरोप था कि सरकार की गेहूं की फसल तो सुरक्षित रखी गई है लेकिन यहां अपनी फसल लेकर आने वाले किसानों की फसल के लिए मार्केट कमेटी बोर्ड और प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम नहीं हुए हैं खेड़ा गांव से आए किसान ने बताया कि वह अपनी 3 एकड़ की फसल जिसकी कीमत करीब ढाई लाख रुपए होगी उसे लेकर यहां आया था लेकिन अब पानी में भीग जाने की वजह से यह अब आधी कीमत की भी नहीं बिक पाएगी
वही मंडी में काम करने वाले मजदूर भी जमकर मार्केट कमेटी बोर्ड को कोस रहे थे उनका कहना था कि अधिकारियों की कानों पर जूं तक नहीं रेंगती यह हाल हर साल होता है और अपनी फसल को एक बच्चे की तरह पालने वाला किसान अक्सर निराश होकर यहां से लौटता है
वही जब इस बारे में मार्केट कमेटी बोर्ड के अधिकारी से बातचीत करनी चाही तो वह अपने कार्यालय से नदारद मिले वहां से कर्मचारियों ने बताया कि वह किसी मीटिंग में पंचकूला गए हुए हैं उनसे फोन पर भी संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन बातचीत नहीं हो पाई फिलहाल देखना होगा किसानों को हुए इस नुकसान की आखिर कैसे भरपाई की जाएगी या फिर किसान इसी तरह खून के आंसू रोता रहेगा