28/03/2025
भगवान शिव की सवारी 'नंदी', सांड है या बैल? जानें क्या है इनके बीच का सही अंतर
Real Form of Nandi Bail In Shiva Temples: भगवान शिव के किसी भी मंदिर में जब भी आप जाते हैं, आपको 'नंदी' की मूर्ति जरूर नजर आएगी. भोलेनाथ के दर्शन करने के साथ ही नंदी की भी हर देवालय में पूजा की जाती है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव की सवारी कहा जाने वाला ये पशु आखिर क्या है? नंदी एक सांड है या बैल है? क्या सांड और बैल में कोई अंतर होता है या ये दोनों एक ही प्राणी के लिए इस्तेमाल होने वाले पर्यावाची शब्द हैं? ये सवाल एक अहम है क्योंकि नंदी के स्वरूप को समझना, धर्म की इस व्याख्या को समझने के लिए बहुत जरूरी है. सनातन धर्म में कही गईं या बताई गईं चीजें किसी न किसी सिद्धांत और तथ्य से जुड़ी हैं. साथ ही हिंदू धर्म के सभी देवताओं का स्वरूप भी अपने आप में बहुत कुछ दर्शाता है. आइए आपके इन सारे सवालों का जवाब जानते हैं प्रसिद्ध पौराणिक कथाकार और लेखक देवदत्त पटनायक से.
कौन है नंदी: बैल या सांड?
हिंदू पौराणिक कथाओं में नंदी को भगवान शिव की सवारी बताया गया है. शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा आपको हर शिव मंदिर में नजर आ जाएगा. शिव जी का संबंध कई तरह के जीव-जंतुओं से जुड़ा है. उनके गले में नाग है, जटाओं में गंगा और चंद्रमा है. एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में देवदत्त पटनायक बताते हैं, शिवजी को जब काशी से हिमालय जाना होता है तो वह सवारी के रूप में नंदी का ही इस्तेमाल करते हैं. नंदी को वृषभ नाथ भी कहा जाता है. हालांकि हमें ये भी समझना चाहिए कि वाहन सिर्फ उनकी सवारी नहीं होता बल्कि इनमें हमें उस देवी-देवता की प्रकृति का रिफलेक्शन भी देखने को मिलता है. लेकिन अधिकांश नए बने मंदिरों में नंदी की प्रतिमा बैठे हुए बनाई जाती है और प्रतिमा के पीछे की ओर वीर्यकोष दिखाई नहीं देता है. वहीं किसी भी पारंपरिक शिव मंदिर में लोग नंदी के शरीर में इस भाग को पूरी प्रधानता से दिखाया जाता है. देवदत्त पटनायक बताते हैं कि एक मूर्तिकार ने उन्हें उन्हें बताया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग नंदी के इस भाग को देखने से शर्माते हैं और उन्हें वह बहुत अश्लील लगता है. उसने कहा कि शायद इसी लिए लोग यह भी भूल कर बैठते हैं कि शायद नंदी गाय है.
पालतू बैल नहीं, जंगली सांड है नंदी
देवदत्त पटनायक अपने हालिया एक कॉलम में बताते हैं, 'नंदी के शरीर का यह भाग दिखाना बेहद जरूरी है. इसका उद्देश्य लोगों को केवल यह समझाना है कि नंदी नर है, न कि मादा. उन्हें ये भी पता होना चाहिए कि नंदी बैल के विपरीत, सांड है, यानी उसके वीर्यकोष की बलि नहीं दी गई है. नंदी पालतू बैल नहीं है बल्कि वह जंगली सांड है. उसका उपयोग हल चलाने या बैलगाड़ी खींचने के लिए नहीं होता है. नंदी कोई लद्दू प्राणी नहीं है, नंदी को अपने इस भाग के बिना दिखाना उसे एक अलग ही पहचान देने के समान है.
भगवान शिव के इस रूप को दर्शाते हैं नंदीश्वर
देवदत्त पटनायक बताते हैं, 'भगवान शिव की सवारी नंदी, वृषभ अर्थात सांड है. उसके इस स्वरूप के पीछे खास वजह है. सांड एक जंगली प्राणी है, वह गायों को गर्भवती बना सकता है, जो बैल नहीं कर सकते. जब एक गाय गर्भवती होकर बछड़े को जन्म देगी, तब ही वह दुधारू बन सकेगी. इससे हम भगवान शिव की प्रकृति से भी जोड़कर देख सकते हैं. हिंदू आख्यान शास्त्र के अनुसार शिव ने विवाह करके गृहस्थ बनने से मना कर दिया. लेकिन देवी ने उनसे विवाह की इच्छा प्रकट की. शिव का विवाह भी जरूरी है क्योंकि जब तक शिव देवी के पति बनकर सांसारिक विश्व में भाग नहीं लेंगे, तब तक विश्व का सृजन नहीं होगा. शिव, देवी के वर तो बने, लेकिन देवी की गृहस्थी के प्रमुख नहीं बने. देवी ने स्वायत्त रूप से विश्व की देखभाल की. उन्होंने विश्व का पोषण किया, जैसे गाय दूध देकर हमारा पोषण करती है. शिव का यही रूप उनके मंदिरों में नंदी के माध्यम से दिखाया जाता है.' इसीलिए नंदी की मूर्ति का सही अर्थ समझना और उसे सही रूप में दर्शाना बहुत जरूरी है.