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22/06/2023

*सवाल-* अगर किसी के पास इल्म नहीं और गुनाह करता है तो क्या जाहिल होने की बिना पर माफ़ हो सकता है❓

*जवाब-* जहाँ तक माफ होने की बात है तो मौला तआला कुफ्र और शिर्क के सिवा सब कुछ माफ कर देगा और रही बात जाहिल के तो जहल की तो जाहिल होना खुद गुनाह है की हदीसे पाक में आता है कि,इल्मे दीन सीखना हर मुसलमान मर्द वो औरत पर फर्ज़ है,तो इसने फर्ज़ को छोड़ा तो इल्म ना सीखने का गुनाह, और उलमा ऐ इकराम ने मशरिक से लेकर मगरिब तक कोई ऐसा खित्ता नहीं छोड़ा जहाँ इल्मे दीन ना पहंचा हो,जाहिल होना इस बात की दलील नहीं बन सकती की जिस से इंसान गुनाह करे और बच जाये यानि कि उसे कोई सज़ा ना मिले एसा नहीं हो सकता, जैसा गुनाह होगा वैसा हुक्म लगेगा और कुफ्र करेगा तो काफिर होगा,अगर ह़राम करेगा तो फासिक़ होगा.

*📕📚इबने माजा शरीफ जिल्द,1 सफह 224*
*📕📚अलमलफूज़ हिस्सा 1,सफह 20*
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22/06/2023

फज़ाइले सदक़ा

सदक़ा गुनाहों को इस तरह मिटाता है जैसे पानी आग को बुझा देता है

📕 मजमउज़ ज़वायेद,जिल्द 3,सफह 419

सदक़ा रब के गज़ब को ठंडा करता है और बुरी मौत को दफा करता है

📕 मिश्कात,जिल्द 1,सफह 527

सदक़ा क़ब्र की गर्मी को कम करता है एक मुसलमान का भूले हुए को राह बताना किसी से मुस्कुराकर बात करना रास्ते से पत्थर हटा देना या कुछ भी ऐसा करना जिससे किसी को फायदा पहुंचता है तो ये उसकी तरफ से सदक़ा है और सदक़ा बन्दे को रब से क़रीब यानि जन्नत से क़रीब कर देता है और कंजूसी रब से दूर और जहन्नम से क़रीब कर देता है

📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 80--84

जो किसी मुसलमान को खाना खिलाये तो मौला उसे जन्नत के मेवे खिलायेगा और जो किसी मुसलमान को पानी पिलाए तो मौला उसे जन्नत का शर्बते खास पिलायेगा और जो किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाये तो मौला उसे जन्नती लिबास पहनायेगा और जब तक उस कपड़े का एक टुकड़ा भी उसके बदन पर रहेगा वो अल्लाह की हिफाज़त में रहेगा

📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 4,सफह 204-21

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22/06/2023

औरतों के मुत-अल्लिक हदीसें

(1) हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रत अस्मा रदियल्लाहु तआला अन्हा से फरमाया कि औरत जब बालिग हो जाए तो उस के जिस्म का कोई हिस्सा सवाए चेहरा और हथेलियों के नज़र न आए ।(अबू दाउद शरीफ)

(2) वह औरत जो बन संवर कर इतरा इतरा कर, नामहरम मरदों में चलती है वह क्यामत के दिन मुजस्सम तारीकी की मिस्ल होगी जहां रोशनी की कोई किरन तक न होगी। (तिर्मिज़ी शरीफ)

(3) जब कोई मर्द गैर औरत के साथ तन्हाई में होता है वहां तीसरा शैतान ज़रुर होता है। (तिर्मिज़ी शरीफ)

(4) जब तुम में से कोई किसी औरत को निकाह का पैगाम भेजने लगे तो अगर उस को देखना मुम्किन हो तो जरुर देख ले ।(अबू दाउद शरीफ)

(5) औरत परदे में रहने की चीज़ है जिस वक्त वह बे परदह हो कर बाहर निकलती है तो शैतान उस को झांक झांक कर देखता है (मिशकात शरीफ, तिर्मिज़ी शरीफ)

(6) जिस ने हराम से अपनी आंखों को पुर किया उस की आंखों में जहन्नम की आग भर दी जायेगी (कीमियाए सआदत)

(7) हया और ईमान दोनों आपस में साथ साथ हैं जब उन में से एक उठ जाये तो दूसरा भी जाता रहता है ।

(8) औरतों को घरों में रहने की आदत डालो।(अहयाउल उलूम)

(9) देवर मौत है औरत को देवर से इसी तरह दूर भागना चाहिए जिस तरह लोग मौत से भावते हैं। (मिशकात शरीफ)

(10) जो औरत खुशबू लगा कर मरदों के पास से गुजरे ताकि लोग उस की खुशबू सूंघे तो वह बद चलन है। (निसाई शरीफ) औरत को खुले अरमान के नीचे
नमाज़ पढ़ना मना है। (निसाई शरीफ)

(11) अस्हाये रसूल अपनी दीवारों के सूराख और दरवाजों को बन्द कर देते कि औरतें गैर मरदों को न झांके (अहयाउल उलूम)

(12) जब किसी मुसलमान की निगाह किसी हसीन व जीमल औरत पर पड़े और वह फौरन अपनी निगाह फेरले तो अल्लाह तआला उस की इबादत में लज्जत व चाशनी पैदा फरमा देता है।

(13) ना महरम को शहवत से देखना आंख का ज़िना है शहवानी बातें सुनना कान का ज़िना है शहवानी बातें करना ज़बान का ज़िना है गैर महरम का छूना और
पकड़ना हाथ का ज़िना है उस की तरफ चलना पैर का ज़िना है और ऐसी बुरी ख्वाहिश दिल का ज़िना है और शरमगाह उसे सच्चा या झूटा कर देती है। (मुस्लिम शरीफ)

(14) अगर अचानक किसी अजनबी औरत पर नज़र पड़ जाये तो दोबारा उस पर नज़र न डालो।

(15) (मरदों को तम्बीह की गई है कि) रास्ते में चलते हुए दो औरतें खड़ी हों या जारही हों तो उन के बीच में से न गुज़रें । (तकरीबते नासूर)

(16) दोज़खियों में दो गिरोह हैं उन में एक उन औरतों का है जो बज़ाहिर तो कपड़े पहनती हैं मगर हकीकत में बरहना (नंगी) हैं यानी इस कदर बारीक और ऐसी लापरवाही से कपड़े पहनती हैं कि उन का बदन चमकता है मजीद इरशाद फरमाया कि यह औरतें हागिज़ जन्नत में दाखिल न होंगी और की खुशबू न पायेंगी (हालांकि जन्नत की खुशबू बहुत दूर दूर तक महसूस होगी) (मिशकात शरीफ जिल्द दो सुन्नी बहश्ती ज़ेवर)

(17) औरत जब पांचों नमाजें अदा करती हैं रमज़ाल के रोजे रखती है अपनी अस्मत की हिफाज़त करती है और अपने शौहर की फरमाबरदारी करती है तो
क्यामत के दिन उस से कहा जायेगा कि जन्नत के जिस दरवाजे से चाहे दाखिल होजा (सही मुस्लिम शरीफ)

(18) अल्लाह तआला उस कौम की दआ कबूल नहीं करता जिस की औरतें (झांझन) बजने वाला जेवर
पहनती हों।

(19) हया ईमान का हिस्सा है।

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22/06/2023

Assalamu alaikum all friends

Alhamdulillah aap sab log khairiyat se honge afsos ke sath kehna padh raha hai aaj log apne ladke aur ladkiyon ko school aur college me padhate hai mashallah acchi baat hai lekin un ko deeni taleem nhi dete yaad Rakho kal qayamat ke din wahi taleem aap ko jahannam me lejayegi apne bacho ko deeni taleem do Allah ke waste 😭😭 dunyavi taleem kam do aur deeni zada apne bacho ko hafiz molana banao taki qayamat ke din wo aap ki shifarish kre jannat ke liye qayamat ke din aap ki koi digri kaam nhi Aayegi na doctor na professor na engineer
Aage bhi share kro

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22/06/2023

हजरत अली से चार लोगो ने एक ही सवाल पुछा और कहा -
हम सब को अलग अलग जवाब देँ। "

सवाल = इल्म बेहतर है या दौलत ? .

आप ने कहा - (1)- इल्म बेहतर है क्यूकि दौलत खर्च करने से कम होती है और इल्म खर्च करने से बढ़ता है । .

(2)- इल्म बेहतर है क्यूकि दौलत की तुम हिफाजत करते हो और इल्म तुम्हारी हिफाजत करता है । .

(3)- इल्म बेहतर है क्यूकि इल्म वाले के दोस्त ज्यादा और दौलत वाले के दुश्मन ज्यादा होते है । .

(4)- इल्म बेहतर है क्यूकि इल्म नबियो का माल है और दौलत फिरऔन का ...!!

22/06/2023

नबी ए करीम हज़रत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम की
कुछ जानकारीया।

1- आप नबीये करीम सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने एक हज 4 उमरे
किये.

2- आपने जिंदगी के 53 साल मक्के मे और 10 साल मदीने मे गुज़ारे.

3- आपके तीन बेटे थे।
1 हज़रत कासिम 2 हज़रत इब्राहिम 3 हज़रत ताहिर है.

4- आपके दांत मुबारक जंगे ओहद मे शहीद हुवे.

5- आपकी वफ़ात हुई तो गुस्ल हज़रत अली रज़ि तहाला अंहो ने किया.

6- आपकी कब्र ए मुबारक हज़रत रबि रज़ि तहाला
अंहो ने खोदी.

7- आपने बताया की ये दुनिया मोमिन के लिए कैद खाना और काफ़िर के लिए जन्नत है.

8- आपने फ़रमाया की गरीबो को खाना खिलाओ ओर हर मोमिन को सलाम करो, चाहे आप
उन्हें जानते ना हो तब भी.

9- आपने फ़रमाया की कोई भी मुसलमान किसी भी मोमिन भाई से तीन दिन से जादा नाराज नही रहे सकता अगर नाराज रहेगा तो जायज नही होगा.

10- आपने फरमाया की जब कोई जवान मोमिन तोबा करता है उसके लिए मस्क से लेकर मगरिब तक के सारे अज़ाब 40 दिन के लिए हटा दिए जाते है.
11- आपने फ़रमाया सदका बुराई के 70 दरवाजे बन्द कर देता है.

12- आपने फरमाया की मेरी आखो की ठंडक नमाज़ है .

13- आपने फरमाया की में इल्म का शहर हु और हज़रत अबू बकर सिद्दीक इसकी बुनियाद है l
हज़रत उमर फारुख आज़म इसकी दीवार है, हज़रत उस्मान गनी इसकी छत है और हज़रत अली इसका दरवाज़ा है.

14- आपके मोजुजात। आपका साया कभी जमीन मे नही पड़ता था.

15- आपके बदन ए मुबारक पे कभी मख्खी नही बेठती थी.

16- आपको कभी उबासी नही आई.

17- आप जेसे आगे देखते थे वेसे ही पीछे से देखते थे.

18- आप जब भी किसी जानवर पर सवार हुवे वो जानवर कभी बिदत कर नही भागा.

19- आपके पसीने मुबारक से खुशबू आती थी.

20- आप अगर जिस पानी मे लुवाबे देहन डाल देते तो वो पानी मिठा हो जाता.

21- आपने फ़रमाया की रोशन होगा उसका चेहरा जो हदीस सुन कर दुसरो तक पहुचाऐ.

ये है हमारे प्यारे नबी हजरत मोहम्मद सल्लाहो तहाला
अलैहि वसल्लम की कुछ जानकारियां अगर नबी से मोहब्बत
है तो ये बाते हर मोमीन तक पहुचाए।।।

22/06/2023

हम सब जानते हैं कि मौजूदा दौर में किसी से क़र्ज़ की वापिसी का इमकान तक़रीबन ना-मुमकिन है । कोई भी रक़म उधार देने से पहले हमेशा बाहमी इफ़्हाम व तफ़्हीम के साथ वापिसी की एक मुत्तफ़िक़ा तारीख़ या वक़्त मुक़र्रर कर लें । अपना ज़हन बना लें कि अगर वोह वक़्त पर अदाइगी कर दें तो बेहतर, वरना कोशिश करें कि उन पर सख़्ती न करें और अगर मुआ़फ़ न भी करें तो कम-अज़-कम उन्हें मोहलत ज़रूर दें । एक और ह़दीसे पाक में है, “जिस ने क़र्ज़ की अदाइगी के वक़्त से पहले तंग-दस्त (क़र्ज़-दार) को मोहलत दी, उसे रोज़ाना उतना माल सदक़ा करने का सवाब मिलेगा और जिस ने वक़्ते अदाइगी के बा’द मोहलत दी उसे रोज़ाना उस से दुगना माल सदक़ा करने का सवाब मिलेगा ।” (मजमउ़़ज़्ज़वाइद, जिल्द 4, सफ़ह़ा 239, ह़दीस 6676)
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इल्म ए दीन सीखना हर मुसलमान मर्द-औरत पर फ़र्ज़ है।❤️

22/06/2023

*🏮 इस्लाम की बुनियाद पाँच हैं*

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि इस्लाम की बुनियाद पांच (5) चीजों पर है:

_1. इस बात की शहादत देना कि अल्लाह के सिवा कोई सच्चा मअबूद नहीं और मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उसके ख़ास बन्दे और रसूल हैं,_ और
_2. नमाज़ क़ायम करना,_ और
_3. ज़कात देना_ और
_4. ह़ज करना,_ और
_5. माहे रमज़ानुल मुबारक का रोज़ा रखना_

*📕📚सही मुस्लिम शरीफ़ जिल्द 16 सफह 28 ह़दीस 21-*

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20/06/2023

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