तेरी जुल्फों के शाय में

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समझौता कर लोगे ये उम्मीद नहीं थी।
11/05/2025

समझौता कर लोगे ये उम्मीद नहीं थी।

लफ्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगेतूने जब आख़िरी खत मेरा जलाया होगातूने जब फूल किताबों से निकाले होंगेदेने वाला भी...
21/03/2025

लफ्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगे
तूने जब आख़िरी खत मेरा जलाया होगा
तूने जब फूल किताबों से निकाले होंगे
देने वाला भी तुझे याद तो आया होगा?

Rest in Peace brother

अभी इस तरफन निगाह करमै ग़ज़ल की पलकेंसंवार लूँ।मेरा लफ्ज़ लफ्ज़ हो आईनातुझे आईने मेंउतार लूँ।
04/03/2025

अभी इस तरफ
न निगाह कर
मै ग़ज़ल की पलकें
संवार लूँ।

मेरा लफ्ज़ लफ्ज़
हो आईना
तुझे आईने में
उतार लूँ।

25/02/2025

23/02/2025

ख़िज़ाओं के गर्द दिनों की सियाह रातों मेंकिसी का फूल सा चेहरा दिखाई देता है
22/11/2024

ख़िज़ाओं के गर्द दिनों की सियाह रातों में
किसी का फूल सा चेहरा दिखाई देता है

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