
05/18/2025
भीमव्वा डोड्डबलप्पा शिल्लेकेयथारा: कर्नाटक की निडर स्वतंत्रता सेनानी
भीमव्वा डोड्डबलप्पा शिल्लेकेयथारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम की उन वीर महिलाओं में से थीं, जिनका साहस, समर्पण और संघर्ष भले ही इतिहास के पन्नों में सीमित रह गया हो, लेकिन उनकी भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। कर्नाटक की इस बहादुर बेटी ने आज़ादी की लड़ाई में जो योगदान दिया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।
जीवन परिचय और संघर्ष की शुरुआत
भीमव्वा का जन्म कर्नाटक के एक साधारण लेकिन जागरूक परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनके अंदर अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत थी। जब महात्मा गांधी के नेतृत्व में देशभर में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर फैली, तब भीमव्वा ने भी पीछे हटने की बजाय उसमें भाग लिया। वे ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचारों के विरुद्ध डटकर खड़ी हुईं।
ब्रिटिश शासन के खिलाफ बहादुरी
भीमव्वा ने अपने साथियों के साथ मिलकर आज़ादी की लड़ाई में सक्रिय भागीदारी निभाई। उन्होंने निडर होकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया। उनकी गतिविधियाँ इतनी प्रभावशाली थीं कि ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कई बार गिरफ्तार किया। लेकिन हर बार वह और अधिक दृढ़ निश्चय के साथ लौटती रहीं।
एक अमिट छाप
भीमव्वा उन चंद महिलाओं में शामिल थीं जिन्होंने यह साबित कर दिखाया कि भारत की बेटियां केवल घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं हैं — वे राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की बाज़ी भी लगा सकती हैं। उनका जीवन एक उदाहरण है कि सच्चा देशभक्त वह होता है जो डर से नहीं, बल्कि कर्तव्य की भावना से प्रेरित होकर संघर्ष करता है।
आज भी भीमव्वा डोड्डबलप्पा शिल्लेकेयथारा का नाम हर उस युवा के दिल में जोश भरता है, जो अपने देश से सच्चा प्रेम करता है। उनका जीवन और संघर्ष हमें सिखाता है कि आज़ादी की राह कभी आसान नहीं होती, लेकिन यदि इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।