17/12/2025
आदित्य,धर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘धुरंधर’ बॉक्स, ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई है।
रणवीर सिंह, की इस फिल्म ने न सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ कमाई की, बल्कि दर्शकों, को कहानी से गहराई, से जोड़ा, भी। फिल्म की वजह से पाकिस्तान से जुड़े कई नाम और जगहें चर्चा में आ गईं—चाहे वह गैंगस्टर रहमान डकैत हो, पुलिस अफसर चौधरी, असलम हों या ल्यारी इलाका।
लेकिन, इस फिल्म का एक ऐसा, पहलू भी है, जिस पर कम ध्यान दिया गया— फिल्म का टाइटल: ‘धुरंधर’।
◆ विवाद से आगे, असल मायने,
फिल्म की रिलीज़, से पहले सोशल मीडिया, पर यह दावा किया गया कि ‘धुरंधर’ शहीद मेजर मोहित, शर्मा के जीवन से प्रेरित है।
मामला, कोर्ट तक पहुंचा, जहां यह स्पष्ट कर दिया गया कि फिल्म का सीधा संबंध मेजर मोहित शर्मा से नहीं है।
फिर भी एक सच्चाई अपनी जगह कायम है—
अगर असल जिंदगी में किसी पर ‘धुरंधर’ शब्द सबसे ज्यादा फिट बैठता है, तो वे मेजर मोहित शर्मा ही थे।
रणवीर सिंह ने बड़े पर्दे पर धुरंधर निभाया,
लेकिन असली जिंदगी में इस नाम को जीने वाले
मेजर मोहित शर्मा थे— जिनकी कहानी हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर देती है।
मेजर मोहित शर्मा का जन्म हरियाणा के रोहतक में हुआ।
बाद में उनका परिवार गाजियाबाद शिफ्ट हो गया,
जहां उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल, गाजियाबाद से पढ़ाई पूरी की।
उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया,
लेकिन मन कहीं और था— देश सेवा में।
इंजीनियरिंग के साथ-साथ उन्होंने NDA की परीक्षा दी
और 1995 में भोपाल में हुए SSB इंटरव्यू में चयनित होकर
खड़कवासला स्थित NDA पहुंचे।
1998 में देहरादून की IMA में ट्रेनिंग पूरी की
और 1999 में भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया।
मेजर मोहित की पहली पोस्टिंग
5 मद्रास रेजीमेंट, हैदराबाद में हुई।
साल 2002 में वे 38 राष्ट्रीय राइफल्स (जम्मू-कश्मीर) पहुंचे,
जहां उनके साहस और नेतृत्व से प्रभावित होकर
उन्हें COAS Commendation Card से सम्मानित किया गया।
◆पैरा स्पेशल फोर्सेज: जहां बना असली ‘धुरंधर’
मेजर मोहित का लक्ष्य हमेशा बड़ा था।
2003 में उन्होंने भारतीय सेना की सबसे प्रतिष्ठित यूनिट
पैरा स्पेशल फोर्सेज जॉइन की।
दो साल की अत्यंत कठिन कमांडो ट्रेनिंग के बाद
उन्होंने साबित कर दिया कि
वे किसी भी मिशन के लिए तैयार हैं।
यहीं से शुरू हुआ उनका असली ‘धुरंधर’ अवतार।
◆ जब पहचान बदलकर मौत बन गए
साल 2004 में हिजबुल मुजाहिदीन के दो खूंखार आतंकी—
अबू तोरारा और अबू सब्ज़ार
LOC पार करने की योजना बना रहे थे।
इस बेहद संवेदनशील मिशन की जिम्मेदारी
मेजर मोहित शर्मा को सौंपी गई।
उन्होंने अपनी पहचान बदल ली—
“इख्तार भट्ट” बनकर।
कहानी गढ़ी कि 2001 में उनके भाई की मौत आर्मी चेकपोस्ट पर हुई थी और वे बदला लेना चाहते हैं।
इतनी सटीक भूमिका निभाई
कि आतंकियों को जरा भी शक नहीं हुआ।
विश्वास इतना जीता कि
आतंकियों ने अपने हथियार तक
मेजर मोहित को सौंप दिए।
और फिर…
मौका मिलते ही मेजर मोहित ने अपना असली रूप दिखाया
और दोनों आतंकियों को ढेर कर दिया।
यह ऑपरेशन भारतीय सेना के इतिहास में
स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया।
इसके बाद मेजर मोहित
हर बड़े ऑपरेशन का हिस्सा बने।
21 मार्च 2009, कुपवाड़ा (जम्मू-कश्मीर) में
आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिली।
ऊंचाई पर छिपे आतंकियों की भारी गोलीबारी में
उनकी टीम के चार जवान घायल हो गए।
मेजर मोहित ने
जान की परवाह किए बिना
सभी को सुरक्षित निकाला,
रेडियो पर पीछे हटने का आदेश दिया
और खुद मोर्चे पर डटे रहे।
अकेले उन्होंने
चार आतंकियों को मार गिराया,
लेकिन इस दौरान
वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
31 साल की उम्र में
देश के लिए उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया।,
उनके अद्वितीय साहस के लिए
भारत सरकार ने उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया।,
फिल्म ‘धुरंधर’ मनोरंजन है।,
लेकिन मेजर मोहित शर्मा भारत की आत्मा हैं।
असल धुरंधर,
वह था—
जिसने पहचान छोड़ी,
नाम बदला,
और देश के लिए
सब कुछ न्योछावर कर दिया।
🇮🇳 सलाम उस सच्चे धुरंधर को।