
14/09/2025
"माँ भारती के भाल का शृंगार है हिंदी,
हिंदोस्ताँ के बाग़ की बहार है हिंदी।
घुट्टी के साथ घोल के माँ ने पिलाई थी,
स्वर फूट पड़ रहा, वही मल्हार है हिंदी।"
-केदारनाथ सिंह
मानव सभ्यता के निर्माण एवं विकास में भाषा का अहम योगदान रहा है। यह केवल संवाद का माध्यम मात्र नहीं अपितु सांस्कृतिक धरोहर है। हमारी भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को प्राचीन काल से वर्तमान तक जोड़ने का कार्य हिंदी ने किया है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा के द्वारा हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिलने के पश्चात यह दिन हमारे लिए गौरवपूर्ण बन गया।
संस्कृत की गोद से उत्पन्न एवं भारत के कई क्षेत्रीय भाषाओं को अपने अंदर समेटे हुए 'हिंदी' हमारी सांस्कृतिक विरासत की ध्वजवाहक रही है। इसकी मिठास गाँव की बोली में भी सुनाई देती है और महानगरों की हलचल में भी। इसकी मधुरता लोकगीतों की सहजता में झलकती है और इसकी गंभीरता साहित्यिक छंदों की गहराई में उतरती है। यह हमारे आत्मीय भावनाओं की अभिव्यक्ति का सबसे सरल एवं प्रमुख माध्यम है जो पूरे भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरोने की शक्ति रखती है।
सर्जना परिवार की ओर से आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।